INDIAN RAILWAY

12th physics notes

Hello friends .....

My name is Bhupendra Singh.....

Copy kr save kr le


 स्थिर वैधुतिकी | आवेश का मात्रक

02/03/2019 by myrbsenotes

स्थिर वैधुतिकी – भौतिक विज्ञानं की वह शाखा जिसके अंतर्गत स्थिर आवेश तथा आवेशो के गुन्धर्मो का अध्यन किया जाता है स्थिर वैधुतिकी कहलाती है |


विधुत आवेश – यह पदार्थ का वह गुण जिसके कारण वह विधुत तथा चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न करता है अथवा इसका अनुभव करता है |


विधुत आवेश इलेक्ट्रान के स्थानांतरण के कारण उत्पन्न होता है |


आवेशो के प्रकार

आवेश दो प्रकार के होते है


( 1 ) धनात्मक आवेश                            ( 2 ) ऋणात्मक आवेश


घर्षण द्वारा आवेशण

दो वस्तुओ को आपस में रगड़ने पर उनके द्वारा आवेशित होने की प्रक्रिया को घर्षण द्वारा आवेशण  कहते है |


स्पर्श द्वारा आवेशण

जब किसी आवेशित चालक को किसी अनावेषित चालक के संपर्क में लाया जाता है तब दोनों चालको पर समान प्रकृति का आवेश फ़ैल जाता है इस प्रक्रिया को चालन कहते है |


स्थिर वैधुतिकी 

प्रेरण द्वारा आवेशण

वह प्रक्रिया जिसके अंतर्गत एक आवेशित वस्तु द्वारा अनावेषित वस्तु पर स्पर्श किये बिना विपरीत प्रकृति का आवेश उत्पन्न कर दिया जाये इसे प्रेरण द्वारा आवेशण कहेंगे |


स्थिर वैधुतिकी 

किसी वस्तु को आवेशित करने के लिए केवल इलेक्ट्रान ही उत्तरदायी होता है प्रोटोन नही क्योकि P+ को नाभिक से पृथक करना कठिन हो जाता है |


आवेश की उपस्थिति का पता लगाने तथा मान ज्ञात करने के लिए स्वर्णपत्र विधुतदर्शी, इलेक्ट्रो मीटर, वाल्टमीटर आदि का उपयोग करते है |


स्वर्णपत्र विधुतदर्शी

इस उपकरण की सहायता से आवेश की उपस्थिति का पता लगाया जाता है | कांच का बना एक पत्र होता है जिसके मुह पर एक कुचालक पदार्थ का कॉर्क लगा होता है | इसमें एक धातु की छड उधर्वाधर लटकी हुई होती है तथा इस धातु के निचले सिरे पर दो स्वर्ण पत्तियाँ लगी होती है |


स्वर्णपत्र विधुतदर्शी

जब किसी आवेशित वस्तु को धातु की छड से आवेशित किया जाता है तो आवेश धातु की छड से होता हुआ दोनों स्वर्णपत्र पर पहुँच जाता है दोनों स्वर्णपत्रो पर समान प्रकृति का आवेश उत्पन्न होने के कारण दोनों स्वर्णपत्र एक-दुसरे से प्रतिकर्षण करते है |


दोनों स्वर्णपत्रो का विस्थापन आवेश के परिणाम पर निर्भर करता है | इस प्रकार से इस उपकरण की सहायता से आवेश की उपस्थिति का पता लगाया जाता है |


आवेश का मात्रक

आवेश का S.I. पद्धत्ति में मात्रक “कुलाम” होता है | इसे C से प्रदर्शित करते है |


कुलाम = एम्पियर × सेकंड


1 कुलाम = यदि किसी चालक में 1 AMP की धारा 1 सेकंड तक प्रवाहित हो तो उत्पन्न आवेश 1 कुलाम कहलाता है |


आवेश का C.G.S. पद्धति में मात्रक स्टेट कुलाम या फ्रेंकलीन होता है |


1 कुलाम = 3 × 109 स्टेट कुलाम


आवेश का सबसे बड़ा मात्रक फैराडे होता है |


[ 1 फैराडे = 96500 कुलाम ]


आवेश के अन्य मात्रक

1µc ( माइक्रो कुलाम )             =            10-6 c

1nc ( नेनो कुलाम )                =            10-9 c

1mc ( मिली कुलाम )             =            10-3 c

आवेश की विमा = M0L0T1A1




Aavesho ke gundharm

02/05/2019 by myrbsenotes

इस पोस्ट में हम Aavesho ke gundharm | आवेशो के गुणधर्म के बारे में जानेंगे | Aavesho ke gundharm | आवेशो के गुणधर्म में हम विधुत आवेश की योज्यता, विधुत आवेश की निश्चरता, विधुत आवेश का संरक्षण, विधुत आवेश का क्वान्तिकरण भी पढ़ेंगे |


आवेशो के गुणधर्म

आवेश दो प्रकार के होते है


( 1 ) धनात्मक आवेश                            ( 2 ) ऋणात्मक आवेश


इन आवेशो के कुछ गुणधर्म है |


विधुत आवेश की योज्यता = विधुत आवेश एक अदिश राशी है |किसी भी निकाय में कुल आवेश का मान धनात्मक व ऋणात्मक आवेश के तुल्य होता है |

विधुत आवेश की निश्चरता = किसी वस्तु पर आवेश उसके वेग पर निर्भर नही करता चाहे वस्तु स्थिर हो अथवा वह आपेक्षिक वेग से गति क्र रहा हो उसका आवेश समान रहता है यह विधुत आवेश की निश्चरता कहलाता है अथार्थ विराम अवस्था में आवेश = गतिशील अवस्था में आवेश

विधुत आवेश का संरक्षण  =  इस सिधांत के अनुसार आवेश को न तो उत्पन्न किया जा सकता है न ही नष्ट किया जा सकता है इसे केवल स्थानांतरण किया जा सकता है | इसे आवेश संरक्षण का सिधांत कहते है |

विधुत आवेश का क्वान्तिकरण = किसी वस्तु पर आवेश का मान इलेक्ट्रान के आवेश का पूर्ण गुणज के रूप में विद्यमान होता है |

[ q = ± ne ]


n = ± 1,2,3,4………


कुलाम का नियम क्या होता है?

02/08/2019 by myrbsenotes

कुलाम का नियम के अनुसार दो स्थिर बिंदु आवेशो के बीच लगने वाले आकर्षण या प्रतिकर्षण बल का मान दोनों आवेशो के गुणनफल के  समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है |


कुलाम का नियम

कुलाम का नियम

जहाँ K समानुपाती नियतांक है | इसका मान दोनों के बीच के माध्यम की प्रकृति एवम् माध्यम की पद्यति पर निर्भर करता 

है |


परावैधुतांक

02/12/2019 by myrbsenotes

निर्वात या वायु के आवेशो के मध्य कार्यरत बल तथा माध्यम में आवेशो के मध्य कार्यरत बल के अनुपात को परावैधुतांक कहते है |


परवैधुतांक का मान अलग अलग पदार्थो के लिए अलग अलग होता है |


शुद्ध जल = 80 , धातु = अनंत


(परवैधुतांक) एक विमाहीन राशी है या नियतांक है |


परावैधुतांक मान न्यूनतम हवा या माध्यम में 1 होता है |


विधुत क्षेत्र (vidhut kshetra)

02/15/2019 by myrbsenotes

वह क्षेत्र या प्रभाग जिसमे स्थित कोई आवेश अपनी स्थिति के अनुसार बल अनुभव करता है| उस आवेश का विधुत क्षेत्र कहते है |


परिक्षण आवेश

यह एक धनात्मक प्रकृति का आवेश होता है व इसका मान इतना अल्प होता है कि जिसके कारण मूल वैधुत क्षेत्र में कोई परिवर्तन नही होता है | परिक्षण आवेश को q0  से दर्शाते है |


विधुतक्षेत्र की तीव्रता

वैधुत क्षेत्र में स्थित किसी आवेश पर लगने वाला बल तथा परिक्षण आवेश q0 का अनुपात विधुतक्षेत्र की तीव्रता कहलाती है |इसे E से दर्शाते है | यह एक सदिश राशी होती है | इसका S.I. मात्रक वोल्ट/मीटर होता है |



विधुत क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र


बिन्दुवत आवेश के कारण किसी बिंदु पर विधुत क्षेत्र

02/17/2019 by myrbsenotes

बिन्दुवत आवेश कारण विधुत क्षेत्र

बिंदु A पर विधुत आवेश q है | इससे r दूरी पर P है जिस पर हमे विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है इसीलिए बिंदु P पर परिक्षण आवेश की कल्पना करते है |


बिन्दुवत आवेश कारण विधुत क्षेत्र

बिन्दुवत आवेश कारण विधुत क्षेत्र

विधुत क्षेत्र की तीव्रता E व दूरी r के साथ ग्राफ


बिन्दुवत आवेश कारण विधुत क्षेत्र


YRBSENOTES




Home » परावैधुत एवं ध्रुवण क्या होता है


परावैधुत एवं ध्रुवण क्या होता है

10/29/2019 by myrbsenotes

परावैधुत पदार्थ क्या होता है?

वे पदार्थ जो वैद्युत धारा का चालन नहीं करते है लेकिन बाहर विद्युत क्षेत्र में आने पे विद्युत् प्रभाव का प्रदर्शन करते है, परावैधुत पदार्थ कहलाते है।


Note:- इन पदार्थो में electron परमाणु से बद्ध (घिरे हुए )रहते है। अतः इनमे कोई भी मुक्त इलेक्ट्रान नहीं पाया जाता है।


परावैधुत पदार्थ दो तरह के होते है।


ध्रुवीय परावैधुत पदार्थ (Polar dielectrics)

अध्रुवीय परावैधुत पदार्थ

ध्रुवीय परावैधुत पदार्थ (Polar dielectrics)

वे पदार्थ जिनके अणुओ के धनावेश व ऋणावेश के वितरण केंद्र अलग अलग होते है, ध्रुवीय पदार्थ कहलाते है।


Example:- H2O, HCL आदि।


अध्रुवीय परावैधुत पदार्थ

ऐसे पदार्थ जिनके अणुओ के धनावेश तथा ऋणावेश के वितरण के केंद्र एक ही हो अध्रुवीय परावैधुत पदार्थ कहलाते है।


Example:- H2, N2, CO2 आदि।

टिप्पणियाँ